Sidhi Bus Accident Update : इन्होंने मौत को दे दी मात, जिंदगी की जंग जीतने वाले जांबाज

Sidhi Bus Accident Update

Sidhi Bus Accident : सीधी जिले से करीब दस छात्र एएनएम की परीक्षा देने सतना जा रहे थे। हादसा नहीं होता तो बस करीब 10 बजे सतना पहुंच जाती। मौके से जो बैग मिले हैं, उनमें से कुछ इन्हीं छात्रों के हैं। रास्ते में बस नहर में समा जाने से ये नौजवान परीक्षा देने से पहले ही जिंदगी हार गए। कई परिवारों ने अपने-अपने होनहार खो दिए।

पता नहीं था, आखिरी बार बेटी को देख रहा हूं

मृतका कुसमहर निवासी लक्ष्मी पनिका के पिता रामायण प्रसाद पनिका ने बताया कि वह बेटी को लेकर सुबह पौने सात बजे ही बढौरा बसस्टैंड पहुंच गए थे। उन्होंने बेटी को परीक्षा देने व आने-जाने को लेकर समझाया और बस में बैठा दिया। करीब साढ़े सात बजे पता चला कि जिस बस में उनकी बेटी बैठी थी, वह नहर में गिर गई है। सूचना मिलते ही रामायण पनिका और पत्नी घटनास्थल की ओर निकल गए। वे रो-रोकर अपनी बेटी को तलाशते रहे और अधिकारियों से पूछते रहे। उन्हें आखिरी समय तक उम्मीद थी कि उनकी बेटी सही-सलामत मिल जाएगी, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। कुछ देर बाद पता चला कि उनकी बेटी का शव मरचुरी में है। वहां से करीब 20 किमी दूर मरचुरी पहुंचे और बेटी के शव से लिपटकर रो पड़े। पिता ने कहा कि परीक्षा के पहले ही उनकी बेटी जिंदगी की जंग हार गई। उन्हें पता नहीं था कि वे अंतिम बार अपनी बेटी को देख रहे हैं।

19 शव एक साथ निकाले

घटना की जानकारी लगते ही आसपास के क्षेत्र के लोग जमा होने थे। जिन यात्रियों के स्वजन को जानकारी हो गई थी, वे भी मौके पर पहुंच गए। क्रेन की सहायता से बस को ऊपर लाकर उसमें फंसे 19 शवों को एक साथ निकाला गया। शव निकालते ही स्वजन के करुण क्रंदन से हर किसी की आंखें छलक उठीं। स्वजन अपनों को ढूंढने का प्रयास करने लगे। प्रशासन ने दिलासा देकर सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजना शुरू कर दिया। इसी बीच कुछ शव पानी में उतराने लगे। करीब दो-तीन किमी के क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर गोताखोर लगाए गए थे। कई जगहों पर पुलिसकर्मी नहर के आसपास तैनात किए गए थे, ताकि किसी के जीवित होने पर बचाया किया जा सके।

हादसे की खबर मिलते ही पैदल निकल पड़ी मां

बस में सवार राहुल किसी काम से काम से सतना जा रहा था। जैसे ही उसकी मां को जानकारी मिली कि बस नहर में डूब गई है, तो वह घर से पैदल ही घटनास्थल की ओर निकल पड़ी। ग्रामीणों ने देखा कि वह रोते-बिलखते जा रही है तो उसे कुछ ग्रामीण बाइक से बैठाकर घटनास्थल ले गए। वहां कुछ पता नहीं चला तो वह रामपुर नैकिन शव गृह पहुंच गई। जैसे ही बेटे का शव वाहन से उतारा गया तो उसके सब्र का बांध टूट गया। वह दहाड़ मारकर रोने लगी। पोस्टमार्टम के बाद शव जिला प्रशासन के वाहन से घर पहुंचाया गया।

रोकना पड़ा नहर का पानी, तब शुरू हो पाया बचाव अभियान

जब बस नहर में गिरी, उस समय बहाव काफी तेज था। बाणसागर बांध की मुख्य नहर गहरी व चौड़ी है और बहाव भी तेज है। इसका पानी उप्र और बिहार राज्य तक जाता है। तेज बहाव के कारण बस एवं बहने वाले शव स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहे थे। जब पानी को रोका गया, तब बचाव अभियान शुरू हो पाया। पानी का बहाव कम होने से गोताखोरों ने शवों को निकालने में आसानी हुई। आशंका जताई जा रही है कि कुछ शव काफी आगे तक जा सकते हैं।

शिक्षा के लिए हमेशा की मदद, पराई बेटी को परीक्षा दिलाने ले जा रहे थे डॉ. हीरालाल

सीधी जिले के गांधी क्लीनिक के पीछे रहने वाले डॉ. हीरालाल शर्मा सेवानिवृत्त प्रोफेसर थे। वह शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा ही जरूरतमंदों के लिए मदद करते रहे। उन्होंने कई छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद की है, जिससे आज वे अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं। उन्हीं के घर में आर्थिक रूप से कमजोर अर्चना जायसवाल रहती थी। पिता के आग्रह करने पर डॉ. हीरालाल उसके साथ सतना जा रहे थे। इस दौरान उनकी चुरहट और रामपुर बस स्टैंड से घरवालों से फोन पर बात हुई। उन्होंने बताया कि वह शाम तक लौट आएंगे लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वे अपने अंतिम सफर पर जा रहे हैं।

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